Friday, December 2, 2011

तुम देखे देखे से लगते हो


नातो के , जो छूट गए हैं
धागे,
गाँठे ढूँढ रहे हैं
कहते हैं मुझसे
"तुम देखे देखे से लगते हो"
वादे जो मुझसे किए थे
लगता है वो भूल रहे हैं.

निभाना , बिन जताए
हँसाना, बिन रुलाए
शायद अब उन्हे पसंद नही.
की आज वो दोस्ती को
शर्तो में बाँधने के
बहाने ढूँढ रहे हैं.