Wednesday, February 2, 2011

चाहे पूरित होती नहीं
चाहने मात्र ही से.
कभी पढ़ा था हिंदी मीडियम स्कूल की तीसरी कक्षा में
कर्म्नायता का एक बिन्दु अकर्म्नायता के अथाह सागर से बड़ा होता है
अतः
work किये जाओ fruit की चिंता मत करो.

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