हर दिन की शुरुआत होती है तुमसे
या बात से, या ख्याल से
या फिर दिल में उठते सवाल से
की तुम कैसी हो?
दिन ऐसे भी थे,
जिनकी शुरुआत का पता ही न चला
ना ही बात से, ना ख्याल से,
ना ही अचनकी इक सवाल से
ना ही बंधन था, ना कोई गिला
ना ही प्यार, ना उसका सिला
तन्हाई सी इक ज़रूर थी
मेरी सुबहो में दुबकीहुई
दिन ऐसे भी थे ,
जो बस शुरू हुए
उन्हे वापिस जाते देखा नही
शायद दुनियादारी में उलझा रहा हुंगा
उस समय बिल्कुल समय नही था
बात का ना ख्याल का
जवाब का ना सवाल का
बस इक दौड़ थी और मैं प्रतिभागी
कुछ ऐसी भी थी जिंदगी.
आज,ये जो बात है जो ख्याल है
ये जवाब और येसवाल है
मेरी सोच के हैं हम कदम
मेरी सुबहें इनसे बिलाल हैं